बिलासपुर 19 नवंबर 2023। सर्दियों के मौसम में जब अचानक रात को सर्दी जकड़ लेती है और खांसी आना शुरू हो जाती है तब अक्सर दादी के नुस्खे याद आते हैं. ऐसा ही एक नुस्खा आप अभी से नोट कर लें, जिससे समय पर आपको उसका लाभ मिल सके. कौंच के बीजों को पीसकर एक पाउडर बनाया जाता है, जिसका सेवन सर्दी या जुकाम होने पर रामबाण इलाज के रूप में प्रचलित है। दमोह में लोग इसे किमाच के नाम से जानते हैं, जिसका सही नाम कौंच है. कौंच के काले बीज के कई फायदे हैं. यह बीज एक प्राकृतिक जड़ी-बूटी हैं. हालांकि, अगर आपको किडनी, लीवर, हार्ट, ग्लूकोमा से संबंधित कोई समस्या है तो ऐसे मरीजों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए. क्योंकि कुछ लोगों को इसके सेवन से सिरदर्द, मचली, अनिद्रा, उल्टी की शिकायत भी हो जाती है।
जिम जाने वाली महिलाएं करें उपयोग
कौंच में अंदर काले बीज निकलते हैं, जिसके पाउडर और चूर्ण का आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. कौंच पाउडर एक प्रोटीन है, जो महिलाओं को संतुलित आहार बनाए रखने में मदद करता है. जो महिलाएं जिम जाना पसंद करती हैं, वे इस जड़ी-बूटी के जरिए मांसपेशियों को बढ़ा सकती हैं. यह उनके बॉडी मास इंडेक्स को बनाए रखने में मदद करता है. इस जड़ी बूटी के चूर्ण में कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, कॉपर, जिंक, मैंगनीज, सोडियम जैसे प्रमुख पोषक तत्व पाए जाते हैं, इसलिए हीमोग्लोबिन की कमी से जूझ रही महिलाओं को कौंच बीज खाने की सलाह दी जाती है।
ऐसे करें सेवन
आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. अभिषेक खरे ने बताया कि हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर सर्दियों के दिनों में बच्चे, बड़े-बूढ़ों को सर्दी, जुकाम, खांसी और भी अन्य बीमारियां जल्द ही जकड़ लेती हैं. इसके के बचाव को लेकर पुराने बुजुर्ग लोग किमाच या कौंच के काले बीजों का पाउडर बनाकर शहद के साथ उबले पानी में घोलकर सेवन कर लेते थे तो सर्दियों के दिनों में वह बहुत कम संक्रमित हो पाते थे।
कौंच छूने से होती खुजली
आगे बताया कि इन काले बीजों का आयुर्वेद में भी काफी महत्व है. इतना ही नहीं, इसकी पहचान करना भी आसान है. देखने में यह कौंच इमली जैसी लगती है. लेकिन बंदरों के रोम जैसी ही इसके रोम होते हैं. जिन्हें छूने मात्र से खुजलाहट होने लगती है, जिससे बचाव का मात्र एक उपाय गाय, भैंस का गोबर है. जिसे खुजलाहट वाले स्थान पर लगाने पर कुछ ही मिनटों में खुजलाहट गायब हो जाती है।