छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 19 जनवरी 2023। कोरोनाकाल के बाद स्कूलों में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इस दौरान 6 से 14 साल के ज्यादा विद्यार्थी स्कूलों से जुड़े। नामांकन दर 2018 के 97.2 फीसदी से बढ़कर 2022 में 98.4 फीसदी तक पहुंच गई है। सरकार के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के कारण 11 से 14 आयु वर्ग की 98 फीसदी बेटियों के हाथों में कलम और किताब आ चुकी है। यह खुलासा गैरसरकारी संगठन प्रथम की ओर से जारी शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर, 2022) में हुआ है। चार वर्ष के अंतराल के बाद विशेषज्ञों की टीम ने 616 ग्रामीण जिलों में 19,060 गांवों के 3,74,544 घरों में जाकर 6,99,597 बच्चों का सर्वेक्षण किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 6 से 14 आयु वर्ग के बच्चों के लिए नामांकन दर पिछले 15 वर्षों से 95 फीसदी से ऊपर रही है। हर राज्य बेटियों को शिक्षा से जोड़ रहा : सरकार की कोशिशों के कारण ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान सफल होता दिख रहा है। वर्ष 2006 में देशभर में 11-14 वर्ष आयु वर्ग की 10.3 फीसदी लड़कियां स्कूल से दूर थीं। अब 2022 में सिर्फ दो फीसदी बेटियां शिक्षा से दूर हैं।
-साल 2008 में 15-16 आयु वर्ग की 20 फीसदी बेटियों ने स्कूल छोड़ दिया था। सरकार की कोशिशों और विभिन्न योजनाओं के कारण 2022 में सिर्फ 7.9 फीसदी बेटियां ही स्कूल से दूर रह गई हैं।
सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधरा
पिछले सात सालों में सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता युक्त शिक्षा में सुधार और सुविधाएं मिलने के कारण अभिभावकों का रुझान निजी के बजाय अब सरकारी स्कूलों में बढ़ा है। देशभर में 6 से 14 आयु वर्ग के 72.9 फीसदी बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। इससे पहले, वर्ष 2006 से 2014 तक सरकारी स्कूलों में नामांकित बच्चों के अनुपात में लगातार गिरावट देखी गई थी।
वर्ष 2014 में सरकारी स्कूलों का आंकड़ा 64.9 फीसदी था और अगले चार साल तक इसमें कोई ज्यादा बदलाव नहीं दिखा था। हालांकि, वर्ष 2018 में यह आंकड़ा 65.6 फीसदी हो गया। इस तरह 2022 में आंकड़ा 72.9 फीसदी पहुंच गया है। तीन वर्ष के 78.3 फीसदी बच्चे प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा देने वाली किसी न किसी संस्था से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसमें वर्ष 2018 के मुकाबले 2022 में 7.1 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, 3-5 वर्ष के छोटे बच्चों के नामांकन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में तीन वर्ष के 66.8 फीसदी और चार वर्ष के 61.2 फीसदी बच्चे आंगनबाड़ी केंद्रों में नामांकित हैं।