छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
रायपुर 29 दिसंबर 2022। आरक्षण विवाद को लेकर मचे घमासान के बीच राजभवन इस मामले में पलटवार किया है। राजभवन की ओर से इस संबंध में कहा गया है कि मात्रात्मक विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया है। उन विशेष एवं बाध्यकारी परिस्थितियों को नहीं बताया गया है, जिसके अनुसार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण का प्रतिशत राज्य की सेवाओं में प्रत्येक भर्ती वर्ष के लिए 50 प्रतिशत से अधिक हो सकता है। कोई विशेष परिस्थितियों का उल्लेख पत्रों में नहीं किया है, जो लगभग ढाई महीने के बाद बनी थी और न ही विशेष परिस्थितियों के संबंध में किसी डाटा को प्रस्तुत किया है।
वहीं ऐसा कोई विवरण प्रस्तुत नहीं किया है कि राज्य के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति किस प्रकार से सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए हैं। सरकार ने छत्तीसगढ राज्य के अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ापन को ज्ञात करने के लिए किसी कमेटी के गठन की जानकारी भेजी नहीं गई है न ही ऐसी कोई रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। इतना ही नहीं क्वांटिफाइबल डाटा आयोग की रिपोर्ट भी प्रस्तुत नहीं की गई है। संशोधित अधिनियम के संबंध में शासन के विधि एवं विधायी कार्य विभाग के अभिमत को प्रेषित नहीं किया गया है।
जानें क्या था मामला
इस मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राज्यपाल भाजपा नेताओं के दबाव में हैं। राजभवन का विधिक सलाहकार एकात्म परिसर में बैठता है। उन्होंने पूर्व सीएम रमन सिंह के दिए बयान का जिक्र किया कि ‘मुख्यमंत्री की इच्छा से तैयार किए गए बिल पर राज्यपाल हस्ताक्षर नहीं कर सकती’। इसे लेकर सीएम बघेल ने कहा कि बिल विभाग तैयार करता है। कैबिनेट में प्रस्तुत होता है। फिर एडवाइजरी कमेटी के सामने जाता है, विधानसभा में चर्चा होती है।
उन्होंने कहा था कि आरक्षण बिल के लिए सारी प्रक्रिया पूरी की गई। विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित किया गया। इसमें सभी लोगों ने भाग लिया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि, विपक्ष ने भी इसमें भाग लिया, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि रमन सिंह जैसे व्यक्ति जो 15 साल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे, वह ऐसी बात कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि, भाजपा के एक भी नेता ने राज्यपाल से नहीं कहा कि बिल पर हस्ताक्षर करें।
मुख्यमंत्री बघेल ने तंज कसते हुए कहा था कि ये जो विधिक सलाहकार है, कौन है। यह एकात्म परिसर में बैठते हैं। उन्होंने कहा कि, अफसरों के मना करने पर भी राज्यपाल के सवालों का जवाब दिया, लेकिन गड़बड़ी निकालेंगे। हम फिर भेजेंगे, फिर ऐसा करेंगे। कुल मिलाकर राज्यपाल को हस्ताक्षर नहीं करना है। उन्होंने कहा कि, नहीं करना है तो बिल वापस करें। उनके अधिकार क्षेत्र में है कि बिल उचित नहीं लगता है तो सरकार को वापस करें।
राज्यपाल बहाना ढूंढ रहीं
सीएम ने कहा कि, राज्यपाल बिल को राष्ट्रपति को भेजें या फिर अनिश्चितकाल के लिए अपने पास रखें। वह अपने पास अनिश्चितकाल तक के लिए रखना चाहती हैं, लेकिन बहाना ढूंढ रही हैं। यह उचित नहीं है। बघेल ने कहा कि, जो विधानसभा छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी पंचायत है, जहां सर्वसम्मति से विधेयक पारित किया गया है। ये विधिक सलाहकार जो एकात्म परिसर में बैठता है, वह विधानसभा से क्या बड़ा हो गया है।