बगैर जिम्मेदारी ताकत चाहते हैं राहुल गांधी? ये हो सकती हैं दोबारा अध्यक्ष नहीं बनने की वजह

Chhattisgarh Reporter
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छत्तीसगढ़ रिपोर्टर

नई दिल्ली 02 सितंबर 2022। कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव से पहले ही उथल पुथल जारी है। एक ओर जहां पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर राहुल गांधी के नाम पर अटकलों का दौर जारी है। वहीं, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की चुनाव में एंट्री की संभावनाओं ने सियासी माहौल बदल दिया है। इसके अलावा मनीष तिवारी, कार्ति चिदंबरम जैसे नेता चुनाव प्रक्रिया पर भी सवाल उठा रहे हैं।

संभावनाएं जताई जा रही हैं कि दो दशक से ज्यादा समय के बाद पहली बार कांग्रेस प्रमुख की जिम्मेदारी संभाल सकता है। हालांकि, सवाल यह बड़ा है कि क्यों राहुल पार्टी प्रमुख बनने के मूड में नहीं हैं। दरअसल, खबरें आई थीं कि वायनाड सांसद अध्यक्ष बनने में अनिच्छुक हैं और पार्टी के कई नेता उन्होंने मना रहे हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कई नेता खुलकर राहुल के उम्मीदवारी की अपील कर चुके हैं।

क्या हो सकते हैं कारण?

2019 चुनाव: कांग्रेस की हार के बाद राहुल ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उस दौरान उन्होंने लंबा लैटर भी जारी किया था, जिसमें पद छोड़ने के कारण गिनाए गए थे। साथ ही उन्होंने पत्र में यह भी कहा था कि इसे लिए कई और भी जिम्मेदार हैं, लेकिन अध्यक्ष पद पर होने के चलते मेरा जिम्मेदारी नहीं लेना और दूसरों को जिम्मेदार बताना ठीक नहीं होगा। यह कहा जा सकता है कि वह चाहते थे कि और लोग भी इस्तीफा दें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पार्टी के किसी बड़े नेता ने पद नहीं छोड़ा।

पार्टी में समर्थन: राफेल घोटाला या ‘चौकीदार चोर है’ जैसे मुद्दों को राहुल की तरफ से उठाया गया, लेकिन कहा जाता है कि मुद्दे सामने रखने के तरीकों के चलते पार्टी के कई बड़े नेताओं का समर्थन नहीं मिला। अब यह माना जा सकता है कि वह एक बार फिर उन्हीं नेताओं के साथ पार्टी का नेतृत्व करने के मूड में नहीं हैं।

जिम्मेदारी नहीं ताकत!

 जानकारों का मानना है कि राहुल को सत्ता तो चाहिए, लेकिन उसके साथ जिम्मेदारी नहीं। उन्होंने राजनीतिक करियर की शुरुआत 2004 में की थी और उस दौरान कहा जाता था कि वह पार्टी अध्यक्ष बनेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वह 2013 में उपाध्यक्ष बने और 2017 में प्रमुख का जिम्मा संभाला। हालांकि, 2019 में ही उन्होंने पोस्ट छोड़ भी दी। इसके तार 2004 के एक और सियासी घटनाक्रम से भी जोड़े जाते हैं कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में उनके पास मंत्री पद की पेशकश थी, लेकिन उन्होंने स्वीकार नहीं किया।

इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि 2019 में पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने के बाद भी वह कई अहम फैसलों में शामिल रहे हैं। यह दिखाता है कि वह बड़े फैसलों में भूमिका चाहते हैं।

गैर-गांधी को अध्यक्ष पद पर देखने की इच्छा

 राहुल यह इच्छा जताते रहे हैं कि वह गांधी परिवार से बाहर किसी नेता को अध्यक्ष पद पर देखना चाहते हैं। पार्टी की मौजूदा अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उदयपुर में आयोजित चिंतन शिविर में भी अपने साथ प्रियंका गांधी वाड्रा, राहुल के इस्तीफे की बात कही थी।

परिवारवाद के आरोपों का जवाब

राजनीतिक दल और खासतौर से भारतीय जनता पार्टी कई बार कांग्रेस पर परिवारवाद और दल पर एक परिवार के नियंत्रण के आरोप लगाती रही है। ऐसे में गैर गांधी का प्रमुख बनना सियासी दलों को जवाब दे सकता है। खबरें हैं कि पार्टी गहलोत के नाम पर विचार कर सकती है।

कांग्रेस का चुनाव कार्यक्रम
हाल ही में हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव कार्यक्रम पर मुहर लग गई है। इसके अनुसार, 17 अक्टूबर पर मतदान होगा और 19 अक्टूबर को मतगणना के बाद पार्टी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा।

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