उम्मीद जताई… 2047 तक भारत की अर्थव्यवस्था चीन और अमेरिका के समकक्ष खड़ी होगी
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 25 जुलाई 2021। भारत के सबसे रईस व्यक्ति व उद्योगपति मुकेश अंबानी का कहना है कि आर्थिक सुधारों के तीन दशक में देश ने कई मामलों में बहुत प्रगति की, लेकिन सभी नागरिकों को इसका लाभ नहीं मिला। अंबानी ने कहा कि उदारीकरण के 30 वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था 10 गुना बढ़ चुकी है। उन्होंने कहा, हम ‘अभावों की अर्थव्यवस्था’ से आज ‘सुलभता की अर्थव्यवस्था’ बन चुके हैं। लेकिन, आने वाले वक्त में अर्थव्यवस्था को सभी के लिए समृद्धि लाने वाला बनाना होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि 2047 तक भारत की अर्थव्यवस्था चीन व अमेरिका के समकक्ष खड़ी होगी। अंबानी ने लिखा, 1991 ने भारत को वह हिम्मत व दूरदर्शिता दी, जिसने अर्थव्यवस्था की दिशा और निर्धारक तत्व तय किए।
सरकार ने निजी क्षेत्र को अर्थव्यवस्था में वह निर्णायक भूमिका दी, जो उसके पूर्ववर्ती 40 वर्षों तक सार्वजनिक क्षेत्र की थी। लाइसेंस और कोटा राज खत्म हुआ, कारोबार व उद्योगों के लिए उदार व मुक्त पूंजी बाजार की नीतियां लाई गईं। वित्तीय उदारीकरण से भारतीयों की उद्यमिता ने प्रगति को तेजी और ऊर्जा दी। आबादी तीन दशक में भले ही 88 करोड़ से 138 करोड़ हो गई, पर हमने गरीबी आधी कर दी और विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बने। हमारे हाईवे, एयरपोर्ट, बंदरगाह आज विश्व स्तर के हैं। एजेंसी
स्वतंत्रता के 100वें वर्ष का उत्सव लक्ष्य में रखें
अंबानी ने कहा, आज हम उस समय की कल्पना नहीं कर सकते जब टेलीफोन या गैस कनेक्शन के लिए कई वर्ष इंतजार करते था। कंप्यूटर खरीदने के लिए सरकार से अनुमति लेते थे। वे कहते हैं कि 2047 के लिए हमारा लक्ष्य अमेरिका और चीन के समकक्ष विश्व की तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना होना चाहिए। यही हमारी स्वतंत्रता के 100वें वर्ष का उत्सव होगा।
आगे रास्ता मुश्किल, भटकना नहीं है
अंबानी ने कहा, आगे रास्ता मुश्किल है, महामारी व कई अनावश्यक मुद्दे ध्यान खींचेंगे और हमारी ऊर्जा खर्च करेंगे। हमें भटकना नहीं है। हमारे सामने अपने बच्चों और युवाओं के प्रति नए अवसर और जिम्मेदारी हैं। हम अगले 30 वर्षों को आजाद भारत के इतिहास के सबसे अच्छे समय में बदल सकते हैं। इसके लिए आत्मनिर्भर और विश्व का सहयोग करने वाला वाले भारत का मॉडल बनाना चाहिए।
सभी के लिए खुशियां वास्तविक अर्थ
अंबानी ने कहा, हमें समृद्धि के सही मायने समझने होंगे। इसे केवल व्यक्तिगत और वित्तीय संपन्नता से जोड़ा जाता है। सभी के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, अच्छे घर, साफ पर्यावरण, खेल, संस्कृति, कला और सभी को विकास के अवसर भी इसमें शामिल हैं। कम शब्दों में कहें तो सभी के लिए खुशियां इसका वास्तविक अर्थ है।
अमेरिका यूरोप के बराबर हमारा बाजार
अंबानी ने कहा, हमारा घरेलू बाजार महाद्वीप के बराबर है। हमारे 100 करोड़ के मध्यम वर्ग की आय बढ़ेगी तो इसका चमत्कारी असर अर्थव्यवस्था की प्रगति में दिखेगा। आंकड़ों के लिहाज से हम अमेरिका और यूरोप के बराबर का बाजार अपने ही देश में पाएंगे। इसे हासिल करने के लिए चौथी औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व करना होगा। खेती, छोटे उद्योग, विनिर्माण, पुन:र्चक्रित ऊर्जा आदि पर व्यापक ध्यान देना होगा।