छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 30 अगस्त 2022। सुप्रीम कोर्ट में गणेश चतुर्थी 2022 उत्सव के लिए बेंगलुरु में ईदगाह मैदान के उपयोग की अनुमति देने वाले कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हुई. जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की बेंच मामले की सुनवाई की. इस मामले में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल कर्नाटक वक्फ बोर्ड का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामला तीन जजों की पीठ के पास भेज दिया.
इसके बाद CJI ने तीन जजों की बेंच का गठन किया जिसमें जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस ओक और जस्टिस सुंदरेश शामिल हैं. यह बेंच 4:35 बजे सुनवाई करेगी. मामले में दोनों जजों की राय में अंतर होने की वजह से मामले को तीन जजों की पीठ के पास भेजा गया है. इससे पहले जस्टिस हेमंत गुप्ता के नेतृत्व वाली पीठ ने मुख्य न्यायधीश के पास मेंशनिंग करने को कहा, जिसके बाद सीजेआई कि पीठ के समक्ष वक्फ बोर्ड के वकीलों ने मामला मेंशन किया. दूसरी ओर बेंगलुरु प्रशासन ने ईदगाह में कल और परसों गणेश उत्सव कि इजाजत दी है.
सीजेआई ने कहा कि अभी तो कोई तीन जजों कि पीठ नहीं है. कल सुनवाई कर लें. इस पर सिब्बल ने कहा कि कल नहीं आज ही कोई तीन सदस्यीय पीठ सुनवाई कर ले, कल तो मामला हाथ से निकल जाएगा. सीजेआई ने कहा कि मेरी पीठ भी आज दो सदस्यीय है.थोड़ा समय दें तो हम देखते हैं क्या कर सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- गणतंत्र दिवस पर क्यों मान गए थे फैसला ?
दुष्यंत दवे ने कहा कि ईदगाह कि 200 साल कि स्थिति बदल जाएगी. कृपया तीन सदस्यीय पीठ गठित सुनवाई करे. इस पर सीजेआई ने कहा कि ठीक है. इससे पहले सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि जब एक समुदाय अपने धार्मिक अनुष्ठानों के लिए एक स्थान का उपयोग कर रहा है तो अचानक क्या हो गया कि दूसरे धर्म को उसके उपयोग पर जोर दिया जा रहा है. सिब्बल ने कहा कि यह वक्फ की संपत्ति है और इस मामले में किसी अन्य धर्म द्वारा ईदगाह के प्रयोग पर रोक लगाई जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपकी याचिका इस स्थल पर मालिकाना हक के लिए है. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने गणतंत्र दिवस के उपयोग कि इजाजत दी थी. तब आप क्यों मान गए.
200 साल से यह वक़्फ़ की सम्पत्ति है ईदगाह मैदान
सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया.सिब्बल ने बताया कि ईदगाह के चारों तरफ चाहरदीवारी बनी हुई है. इसे नमाज के लिए प्रयोग में लाया जाता है. सिब्बल ने भू-राजस्व के दस्तावेज को पढ़ना शुरू किया.
कपिल सिब्बल ने वक़्फ़ बोर्ड की ओर से दलील देते हुए कहा कि 200 साल से यह वक़्फ़ की सम्पत्ति है. यहां किसी और धर्म के आयोजन की इजाज़त नहीं दी जा सकती. सिब्बल ने कहा कि अगर यह वक्फ कि संपत्ति नहीं थी तो बेंगलूर प्रशासन को चुनौती देनी चाहिए थी. लेकिन गणेश चतुर्थी कि इजाजत किस आधार पर दे दी.1831 से यह मैदान हमारे कब्जे में है. आज 2022 में अचानक वहां धार्मिक आयोजन की इजाजत दे दी गयी, क्योंकि अगले साल चुनाव है. कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 1962 के फैसले का हवाला वक्फ बोर्ड के पक्ष में दिया था.