‘जिले में सुपोषण अभियान का प्रभावी क्रियान्वयन है बड़ी चुनौती, कुपोषण मिटाने में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की है प्रमुख भूमिका‘-कलेक्टर
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
कोण्डागांव 23 अक्टूबर 2020। जिला कार्यालय के सभाकक्ष में कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा की अध्यक्षता में दिनांक 23 अक्टूबर को महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों, पर्यवेक्षिका सहित आंगनबाड़़ी कार्यकर्ताओं का बैठक आयोजन किया गया था। बैठक में कलेक्टर द्वारा मुख्य रूप से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान (द्वितीय चरण) तथा इसके तहत् ‘नंगत पिला‘ कार्यक्रम के क्रियान्वयन एवं प्रगति की गहन समीक्षा की गई। बैठक में कलेक्टर ने कहा कि कुपोषण को हराना वर्तमान समय की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है। इस चुनौती को स्वीकार करते हुए प्रत्येक 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों और गर्भवती एवं शिशुवती महिलाओं सहित 0 से 6 वर्ष की बालिकाओं एवं महिलाओं को कुपोषण एवं एनीमिया से मुक्त कराने के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के रूप में एक महायज्ञ प्रारंभ हुआ है और आगामी तीन वर्षों में पूरे देश को कुपोषण से मुक्ति दिलाने की शुरूवात की गई है। कलेक्टर ने कहा कि कुपोषण वास्तविक अर्थ में शरीर में आवश्यक पोषक पदार्थ का असंतुलन है और इससे प्रभावित शिशु आगे चलकर कई गम्भीर बीमारियों के प्रति संवेदनशील होकर कई तरह के बीमारियों के शिकार हो जाते हैं।
चूंकि जिले में नन्हे बच्चे, महिलाएं और किशोरियां इससे सबसे अधिक ग्रसित पाये गये हैं। अतः इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए सभी का सहयोग जरूरी है। क्योंकि जब तक किसी भी समाज में महिलाएं और बच्चे स्वस्थ सुपोषित नहीं होंगे तब तक हम विकास की बात नहीं कर सकते और इस अभियान में सभी का योगदान जरूरी है, चाहे वह पालक हों या फिर परिवार की गर्भवती या शिशुवती माता या एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और अब समय आ गया है कि सामुदायिक व्यवहार में परिवर्तन कर स्वस्थ सुपोषित नये कोण्डागांव के निर्माण में सहभागी बना जाये।
इसके साथ ही कलेक्टर ने मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के (द्वितीय चरण) क्रियान्वयन की रणनीति तथा ‘नंगत पिला‘ कार्यक्रम की प्रगति के बारे में भी मैदानी कर्मचारियों से जानकारी चाही। बैठक में बताया गया कि जिले में सुपोषण अभियान के द्वितीय चरण हेतु चयनित 50 पंचायतों के अंतर्गत 62 ग्रामों के 251 आंगनबाड़ी केन्द्र में अभियान का शुभारंभ किया जायेगा एवं इन आंगनबाड़ी केन्द्रों के अंतर्गत 0 से 6 वर्ष के 467 गंभीर कुपोषित बच्चों एवं 1829 मध्यम कुपोषित बच्चों के घरो का चिन्हाकन करने के साथ-साथ आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों के नाम एवं फोटोयुक्त सूची चस्पा किये जायेंगे साथ ही इन्हीं आंगनबाड़ी केन्द्रों में स्वच्छ पेयजल, भवन, शौचालय, किचन शेड, विद्युत व्यवस्था, केन्द्रों में वजन मशीन, हाईट चार्ट, शाला पूर्व शिक्षा सामग्री, एलपीजी की उपलब्धता के अलावा पोषण वाटिका भी तैयार होंगे एवं सभी 50 पंचायतों में संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में स्वास्थ जांच की सुविधाओं की उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी। चयनित पंचायतों में निवासरत् 0 से 6 वर्ष से 59 वर्ष की समस्त बालिकाओं-महिलाओं का एचबी जांच कर एनीमिक महिलाओं की पंचायतवार सूची भी उपलब्ध कराई जायेगी साथ ही समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए इन ग्राम पंचायतों में निवासरत् सक्रिय व पढ़ी लिखी महिला-पुरूष को सुपोषण मित्र के रूप में चयन पर्यवेक्षक एवं आंगनबाड़ी द्वारा किया जायेगा एवं प्रत्येक सुपोषण मित्र को कम से कम 10 या 12 बच्चों को सुपोषित करने का दायित्व होगा। बैठक में यह भी बताया गया कि जिले में चल रहे ‘नंगत पिला‘ कार्यक्रम के तहत् कुल 06 हजार 07 सौ 46 बंच्चों का वजन किया गया है, जिसमें से 1 हजार 97 मध्यम कुपोषित तथा 2 हजार 22 गंभीर कुपोषित पाये गये हैं। इसके अलावा माह नवम्बर 2019 में 19 हजार 3 सौ 28 बच्चे तथा माह मई 2020 में 12 हजार 7 सौ 26 बच्चे कुपोषित पाये गये और कुपोषण से बाहर आये बच्चों का प्रतिशत 11.31 रहा। बैठक के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं पर्यवेक्षिकाओं ने क्षेत्र में कुपोषण के प्रमुख कारण जैसे बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति पालकों की अनदेखी, कम उम्र में विवाह, रेडी-टू-ईट सामग्रियों का नियमित सेवन न करने, नशीले पदार्थ का सेवन, गर्भावस्था के दौरान खान-पान में लापरवाही जैसे विभिन्न कारणों पर भी प्रकाश डाला।
बैठक के अंत में कलेक्टर ने कहा कि कुपोषण चूंकि एक सामाजिक अभिशाप है और इसके लिए सामूदायिक व्यवहार परिवर्तन के लिए सतत् प्रयास करने होंगे तभी हम जिले को कुपोषण के चंगुल से मुक्त कर पायेंगे और आगामी बैठक में रणनीति के समस्त बिन्दुओं की पुनः समीक्षा की जायेगी।
उक्त बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी वरूण नागेश, परियोजना अधिकारी इमरान अख्तर, डीपीएम सोनल धु्रव सहित सभी विकासखण्ड के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं पर्यवेक्षिका उपस्थित थे।