वृक्ष काटने के नाम पर हथियार जप्ती से लेकर पीओआर का डर हमेशा आम आदिवासी ग्रामीण के सामने खड़ा रहता है लेकिन यहां जिम्मेदारों पर कौन पीओआर दर्ज करेगा और कौन जेसीबी मशीन जप्त करेगा ?

मो. साजिद खान/ छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
एमसीबी ( सरगुजा) 15 दिसंबर 2022। इसमें माफी बिल्कुल नही बल्कि पीओआर (प्राथमिक वन अपराध रिपोर्ट) दर्ज करके कार्यवाही होना चाहिए लेकिन पीओआर करेगा कौन ? जिस जेसीबी मशीन से जिंदा वृक्ष उखाडे गए उसकी जप्ती बनाएगा कौन ? क्योंकि काम तो वन विभाग के नरवा विकास कार्य का है। जो वनपरिक्षेत्र मनेन्द्रगढ़ के नारायणपुर बीट के घुईपानी गांव के जंगल इलाके में निर्मित किया गया है। ऐसा कार्य करके मुख्यमंत्री के नरवा विकास कार्य की इमेज खराब करने की कोशिश की गई ?


जानकारी के अनुसार बीते जनवरी से मार्च- अप्रैल के महिने बीच में नारायणपुर ग्राम पंचायत के नारायणपुर बीट के घुईपानी के लाठीपहरी स्थल पर लगभग 30-35 लाख रूपए की लागत से तालाब रूपी परकुलेशन टैंक का निर्माण किया गया। जिसमें कई जिंदा वृक्षों को जड़ सहित जेसीबी मशीन से उखाड दिया गया। इसमें खास बात यह है कि वृक्षों को उखाड कर निर्मित परकुलेशन टैंक के अगल बगल के जंगल में फेंक करके झाडी-झुरमुट से ढांक दिया गया। क्या वन अधिनियम में इस एैसे कार्य करने के लिए माफी है ? किस अफसर की अनुमति से वृक्ष उखाडे गए ? क्या परिक्षेत्र प्रभारी जिम्मेदारी के लेहाज से दोषी है ? मामले में गंभीरता से जांच होकर कार्यवाही होना चाहिए। परकुलेशन टैंक प्राक्लन के अनुसार कितना गुणवत्तापूर्ण है इसके भौतिक सत्यापन की जांच होना चाहिए। जबकि वृक्ष काटने के नाम पर हमेशा ग्रामीण आदिवासी को वन अधिनियम के पीओआर का डर बना रहता है। क्या इस तरह बिना मार्किंग, बिना चालान, बिना काष्ठगार पहुंचाए निर्माण के नाम पर जिंदा वृक्ष उखाडकर झुरमुट में जांबाजी से छिपा कर रखने के लिए वन अधिनियम मनेन्द्रगढ़ प्रभारी वन परिक्षेत्राधिकारी की मुट्ठी में है ? भ्रष्टाचार करना समझ आता है कि निकलने का रास्ता बना लिया जा सकता है । लेकिन वृक्षों की जड सहित उखाड देना क्या इसके लिए माफी है ?
दस्तावेज में उल्लेखित रहता है
मेरे द्वारा निर्माण कार्य कराया गया , मेरे द्वारा निरिक्षण कार्य किया गया तथा मेरे द्वारा सत्यापन कार्य किया गया। यह दस्तावेज में लिखा होता है। जिम्मेदार कितने गंभीर होंगे समझा जा सकता है।
इस विषय में जानकारी लेने पर मनेन्द्रगढ़ वनमंडलाधिकारी का जवाब
वनमंडलाधिकारी मनेन्द्रगढ़ ने कहा कि पेड उस तरह कटते नही हैं। शाखा वगैरह काटा गया हो तो अलग बात है। जो डेथ हो जाया रहता है या सूख जाया रहता है उसको उखाडा जाता है। उसके ठूंठ को साइड में कर दिया जाता है। सूखे झाड पर मार्किंग आ जाता है। हरा झाड यदि गिरा होगा तो वह हवा पानी से भी गिर सकता है। मान लो यदि कच्चा पेड काटा गया है तो उस तरह से करना ही नही चाहिए।