छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 06 जून 2022। भारत द्वारा गेहूं के निर्यात पर पाबंदी और यूक्रेन युद्ध के चलते दुनियाभर में प्रमुख खाद्यान्न गेहूं के दाम में उछाल आया है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य व कृषि संगठन (FAO) ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है। जंग के कारण यूक्रेन में गेहूं उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है, इसके चलते दुनियाभर में खाद्य संकट खड़ा हो रहा है। एफएओ का मूल्य सूचकांक मई में औसतन 157.4 बिंदु पर रहा। यह अप्रैल की तुलना में 0.6 फीसदी नीचे है, लेकिन मई 2021 की तुलना में 22.8 फीसदी उच्च है। एफएओ खाद्यान्न मूल्य सूचकांक विश्वभर में खाद्यान्न के दामों में मासिक उतार-चढ़ाव पर नजर रखता है। संगठन के अनुसार मई में यह सूचकांक 173.4 बिंदु पर था, जो कि अप्रैल की तुलना में 3.7 बिंदु या 2.2 फीसदी ज्यादा था। इसकी मई 2021 से तुलना करें तो यह 39.7 बिंदु या 29.7 फीसदी अधिक था।
लगातार चौथे माह बढ़े दाम
रिपोर्ट के अनुसार लगातार पांचवें माह विश्व में गेहूं के दाम बढ़े हैं। मई में दाम 5.6 फीसदी बढ़े। ये पिछले साल की तुलना में औसत 56.2 फीसदी ज्यादा हैं। दामों में यह बढ़ोतरी मार्च 2008 के रिकॉर्ड उच्च स्तर से सिर्फ 11 फीसदी कम है। कई प्रमुख गेहूं निर्यातक देशों में फसल की स्थिति के अलावा युद्ध के कारण यूक्रेन में उत्पादन में कमी के अनुमान और भारत द्वारा निर्यात पर प्रतिबंध से गेहूं की कीमतों में भारी वृद्धि हुई।
मोटा अनाज भी पिछले साल के मुकाबले महंगा
मई माह में दुनियाभर में मोटे अनाज की कीमतों में 2.1 फीसदी की गिरावट आई है। हालांकि पिछले साल की तुलना में दाम 18.1 फीसदी ज्यादा हैं। अमेरिका में फसल की स्थिति में थोड़ा सुधार होने, अर्जेंटीना में मौसमी आपूर्ति और ब्राजील की मुख्य मक्का फसल की शुरुआत होने के मद्देनजर इसकी कीमतों में तीन फीसदी की गिरावट आई। हालांक मई 2021 की तुलना में यह भी 12.9 फीसदी ऊपर है।
चावल के दाम भी चढ़े, शकर के गिरे
विश्व बाजार में चावल की कीमतें मई में लगातार पांचवें महीने बढ़ीं। सभी प्रमुख बाजारों में इसके दाम बढ़े। भारत में पर्याप्त आपूर्ति के बीच यह बढ़ोतरी देखी गई। इसकी लोकप्रिय इंडिका किस्म के दाम में 2.6 फीसदी की मासिक बढ़ोतरी दर्ज की गई। हालांकि, भारत में बंपर फसल व वैश्विक उपलब्धता बढ़ने के अनुमान के बीच शकर सूचकांक में अप्रैल से 1.1 फीसदी की गिरावट देखी गई है।