छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
नई दिल्ली 21 जनवरी 2022। संयुक्त राष्ट्र में भारत ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बौद्ध और सिख धर्म के खिलाफ घृणा के साथ-साथ ‘हिंदूफोबिया’ को पहचानने की अपील की। UN में भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्तिने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की नई वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति (जीसीटीएस) में खामियां हैं। दिल्ली स्थित ग्लोबल काउंटर-टेररिज्म सेंटर (जीसीटीसी) के वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में गुरुवार को तिरुमूर्ति ने यह बयान दिया। उन्होंने कहा, “धार्मिक भय के मौजूदा रूपों का उभरना; विशेष रूप से हिंदू विरोधी, बौद्ध विरोधी और सिख विरोधी भय चिंता का विषय है। इस खतरे से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र और सभी सदस्य देशों को ध्यान देने की जरूरत है।”
‘इस्लाम-ईसाई-यहूदी धर्म के खिलाफ भय को ही जगह मिली’
तिरुमूर्ति जून 2021 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित जीसीटीएस की सातवीं समीक्षा का जिक्र कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वैश्विक आतंकी रणनीति में इस्लाम, ईसाई और यहूदी धर्म के खिलाफ धार्मिक भय को ही जगह मिली है। उन्होंने कहा, “पिछले दो सालों से कई देश अपने राजनीतिक और धार्मिक वजहों से आतंकवाद को नस्लीय व जातीय रूप से प्रेरित हिंसक उग्रवाद, हिंसक राष्ट्रवाद, दक्षिणपंथी उग्रवाद जैसी कैटेगरी दे रहे हैं। यह प्रवृत्ति कई कारणों से खतरनाक है।
तिरुमूर्ति बोले- आतंकवादी आतंकवादी होते हैं
तिरुमूर्ति ने कहा कि UNSC को नई शब्दावली और झूठी प्राथमिकताओं से सावधान रहना चाहिए, जो हमारे फोकस को कमजोर कर सकती हैं। उन्होंने कहा, “आतंकवादी आतंकवादी होते हैं। इसमें कोई अच्छे और बुरे नहीं होते हैं। इस अंतर का प्रचार करने वालों का एजेंडा होता है। जो उनके लिए कवर करते हैं, वे उतने ही दोषी हैं।”