किसानों को भाजपा ने जैसा धोखा दिया वैसा भारतीय इतिहास में किसी ने नहीं दिया
सारी समस्याओं की जड़ में केंद्र की भाजपा सरकार और उसकी किसान विरोधी नीतियां ही हैं
छत्तीसगढ़ रिपोर्टर
रायपुर 30 दिसंबर 2020। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह जी के धान खरीदी के संबंध में किए गए ट्वीट पर प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि रमन सिंह जी अपने पाप दूसरों पर न मढ़ें। किसान विरोधी सारे पाठ रमन सिंह जी और उनकी पार्टी भाजपा ने किए हैं। आज पूरे देश के किसान भाजपा की केंद्र सरकार के किसान विरोधी फैसलों को लेकर आंदोलित हैं। उन्होंने कहा है कि राज्य में धान ख़रीदी की जो भी समस्याएं हो रही हैं उसके लिए भी केंद्र की भाजपा सरकार और उसकी नीतियां ही दोषी हैं।
शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि देश के किसानों से भाजपा ने 2022 तक आय दुगनी करने का वादा किया लेकिन आज तक उस दिशा में कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश लागू करने का वादा किया और दावा भी किया लेकिन मोदी सरकार का वादा और दावा दोनों फर्जी है।
भाजपा की केंद्र सरकार के द्वारा छत्तीसगढ़ में धान खरीदी के लिए बार दाने देने में बाधा डाली गई। राज्य को जितने बारदाने की ज़रूरत थी उसमें कटौती की गई और अब जितना वादा था उतना बारदाना भी नहीं दिया जा रहा है. एफसीआई में चावल लेने की अनुमत केंद्र सरकार को देनी है। चावल लेने का आदेश देने के बावजूद एफसीआई गोदामों में चावल रखने की अनुमति न देकर भाजपा की केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ की धान खरीदी में बाधाएं डालने का कुचक्र कर रही है। केंद्र में सरकार चला रही भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह किसानों के लिए घड़ियाली आंसू बहा कर भाजपा के किसान विरोधी चरित्र पर पर्दा डालने की साजिश रच रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के किसानों को रमन सिंह और भाजपा गुमराह नहीं कर सकते। किसान जानते हैं कि छत्तीसगढ़ में जब रमन सिंह जी की सरकार रही तब तक किसानों को किस तरह ठगा जाता रहा। न समर्थन मूल्य का वादा पूरा हुआ और न बोनस पांच साल तक मिला। चुनाव के समय मिला लेकिन कांग्रेस की सरकार बनते ही बंद कर दिया गया। इन्हीं किसान विरोधी नीतियों के कारण भाजपा को 15 साल तक शासन करने के बाद छत्तीसगढ़ के मतदाताओं ने 15 सीट के लायक भी नहीं समझा।
प्रदेश कांग्रेस के संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि कांग्रेस सरकार हर किसान का धान खरीदेगी और किसानों को पूरा पैसा मिलेगा। करोना काल में वित्तीय कठिनाइयों के बावजूद छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार किसानों से वादा पूरा निभा रही है। ऐसे कठिन समय में जीएसटी सहित छत्तीसगढ़ के हक का जो पैसा केंद्र की भाजपा सरकार को देना है नहीं दिया जा रहा है और केंद्र में सरकार चला रही भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह जी छत्तीसगढ़ में किसानों के लिए घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं।
हम ख़रीद रहे हैं ज़्यादा धान
प्रदेश कांग्रेस के संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि 15 साल में भाजपा सरकार ने औसत 50 लाख मिट्रिक टन धान भी नहीं खरीदा लेकिन पिछले साल 2018-19 में भूपेश बघेल जी की सरकार ने 80 लाख मिट्रिक टन से अधिक धान 2500 रू. में खरीदा। 2019-20 में भी 15 लाख 71 हजार की जगह 19 लाख 52 हजार किसानों का पंजीयन किया गया और 83 लाख टन धान कांग्रेस की सरकार के द्वारा खरीदा गया है। कांग्रेस सरकार ने 2019-20 में धान खरीदी में अपना ही पिछले साल 2018-19 का रिकार्ड तोड़ा। अभी एक महिना भी नहीं हुआ है और भाजपा सरकार की औसत खरीदी जितना धान 45 लाख टन तो कांग्रेस सरकार खरीद चुकी है। अपने 15 वर्षो के शासनकाल में तो रमन सिंह सरकार ने 7 वर्षों में इतना धान भी नहीं खरीदा था। रमन सिंह जी किस मुंह से कांग्रेस सरकार पर धान खरीदी को लेकर आरोप लगाते है।
भाजपा सरकार ने 15 वर्षो में धान खरीदी के आंकड़ों को जारी करते हुये प्रदेश कांग्रेस के संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा की रमन सिंह सरकार ने तो 50 लाख टन धान ही प्रति वर्ष खरीदा है। 81.70 लाख मिट्रिक टन से अधिक धान औसत प्रतिवर्ष 2500 रू. समर्थन मूल्य में खरीदने वाली कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ भाजपा के बयान सीधे-सीधे जनता की आंखो में धूल झोकने की कोशिश है। धान खरीदी पर भाजपा किस मुंह से बोल रही है? भाजपा को किसानों और ग्रामीण मतदाताओं अब कभी समर्थन नहीं मिल सकता क्योंकि छत्तीसगढ़ के गांवों के लोग मजदूर किसान भाजपा के किसान विरोधी, गरीब विरोधी चरित्र, मजदूर विरोधी चरित्र को बखूबी समझ चुके है।
भाजपा सरकार द्वारा वर्षवार धान खरीदी
खरीफ विपणन वर्ष | खरीदी मात्रा लाख टन | |
2003-04 | 27.05 | |
2004-05 | 28.87 | |
2005-06 | 35.87 | |
2006-07 | 37.08 | |
2007-08 | 33.51 | |
2008-09 | 37.47 | |
2009-10 | 44.09 | |
2010-11 | 50.73 | |
2011-12 | 59.00 | |
2012-13 | 70.24 | |
2013-14 | 78.35 | |
2014-15 | 62.77 | |
2015-16 | 59.25 | |
2016-17 | 69.57 | |
2017-18 | 56.88 |